अङ्ग्रेज़ी की तरह हिन्दी में तो कोई निरंतर काल का तो कोई प्रावधान नहीं है ,हाँ हिन्दी में अपूर्ण वर्तमान कहते हैं । पर गढ़वाली में इसे निरंतर वर्तमान (अँग्रेजी के प्रेजेण्ट कोंटीनुयस की तर्ज़ पर ) कहना अधिक उचित होगा ,क्योंकि यह अपूर्णता से अधिक निरंतरता का परिचायक है ।
तुम खाणा छौ (तुम सब खाओगे )
उ खाणा छन (वे सब खा रहे हैं)
गढ़वाली सर्वनाम खाण(खाना) हिंदी रूप
मि खाणु छौ (मैं खा रहा हूँ )
तू खाणु छै (तू खा रहा है)
तुम खाणा छौ (आप खा रहे हैं)
तुम खाणा छौ (आप खा रहे हैं)
उ खाणु/खाणी च (वो खा रहा /रही है)
हम खाणा छौ (हम खाएँगे)
तुम खाणा छौ (तुम सब खाओगे )
उ खाणा छन (वे सब खा रहे हैं)
सराहनीय प्रयास।
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