नरेन्द्र सिंह नेगी जी उत्तराखंड के गढ़वाल क्षेत्र के एक जाने माने लोक गायक हैं ,उन्होंने कई मर्मस्पशी गढ़वाली गीत लिखे हैं और उन्हें स्वरों में भी पिरोया है .प्रस्तुतु गीत भी उन्हीका जिसमें उन्होंने सूर्य की अनुपम छटा का वर्णन करते हुए पहाड़ी जन जीवन पर पड़ने वाले उसके प्रभाव और उससे जुडी घटनाओं का भी सुंदर प्रस्तुतीकरण किया है :
चम चमा चम, चम-चम चम-चम चम्म चमकि, चमकि चम्म चमकि घाम कांठ्यूं मां
हिवांलि कांठि चांदि की बणि गैनि, हिवांलि कांठि चांदि की बणि गैनि
बणि गैनि… बणि गैनि…
हिवांलि कांठि चांदि की बणि गैनि, हिवांलि कांठि चांदि की बणि गैनि
शिव का कैलाशु ग्याइ पैलि-पैलि घाम,
शिव का कैलाशु ग्याइ पैलि -पैलि घाम
सेवा लगौणुं आइ बदरी का धाम.. बे..
बदरी का धाम बे बदरी का धाम
सर्र फैलि, फैलि, सर्र फैलि- घाम डांडों मां
पौलि पन्छि डांड़ि डाल बौटि बिजि गैनि, पौलि पन्छि डांड़ि डाल बौटि बिजि गैनि
'बिजि गैनि… बिजि गैनि
हिवांलि कांठि चांदि की बणि गैनि, हिवांलि कांठि चांदि की बणि गैनि
ठण्डु -माठु चड़ि घाम फुलुं की पाख्युं मां
ठण्डु-माठु चड़ि घाम फुलुं की पाख्युं मां
लागि कुतगैलि तौंकी नागि काख्युं मां …बे…
नागि काख्युं मां बे नागि काख्युं मां
खिच्च हैसनि, हैसनि, खिच्च हैसनि फूल डाल्यूं मां
भौंरा पौतेला रंगमत बणी गैनि, भौंरा पौतेला रंगमत बणी गैनि
बणी गैनि.. बणी गैनि
हिवांलि कांठि चांदि की बणि गैनि, हिवांलि कांठि चांदि की बणि गैनि
डांड़ि कांठि बिजालि पौंचि घाम गौं मां
डांड़ि कांठि बिजालि पौंचि घाम गौं मां
सुनिन्द पौड़ि छे बेटि ब्वारि ड्यरौं मां.. बे…
ब्वारि ड्यरौं मां बे ब्वारि ड्यरौं मां..
झम्म झौल, झौल, झम्म झौल लागि आख्यूं मां
मायादार आख्यूं का सुपिन्या उड़ि गैनि, मायादार आख्यूं का सुपिन्या उड़ि गैनि
उड़ि गैनि..उड़ि गैनि
हिवांलि कांठि चांदि की बणि गैनि, हिवांलि कांठि चांदि की बणि गैनि
छुयुं मां बिसै गैनि पन्देरु मां पन्देनि
छुयुं मां बिसै गैनि पन्देरु मां पन्देनि
भांणि पुरि गैनि तौकि छुईं नी पुरैनि ..बे…
छुईं नी पुरैनि बे छुईं नी पुरैनि
खल्ल खतै, खतै, खल्ल खतै घाम मुखुड़्युं मां
बिजादिनि मुखड़ि सुना कि बणि गैनि, बिजादिनि मुखड़ि सुना कि बणि गैनि
बणि गैनि..बणि गैनि
हिवांलि कांठि चांदि की बणि गैनि, हिवांलि कांठि चांदि की बणि गैनि
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