शुक्रवार, 11 मार्च 2011

आवा सीखा गढ़वाली सीखा कुमाऊँनी ....

सिमन्या दगड़ियों (नमस्कार दोस्तों) !!

दोस्तों आज से ये ब्लॉग शुरू हो रहा है उत्तराखंड की आवाज़ को नई पीढ़ी तक पहुचाने के ध्येय के साथ. यहाँ आप गढ़वाली और कुमाऊँनी तो नियमित पाठों के माध्यम से सीखेंगे ही साथ ही समय समय पर उत्तराखंड से जुड़ी विभिन्न सांस्कृतिक, राजनैतिक एवं समाजिक गतिविधियों के विषय में भी जानेंगे .

तो चलिए अपना बस्ता खोलिए और तैयार हो जाइए देवभूमि उत्तराखंड की भाषाएँ सीखने के लिए .हम प्रतिदिन के हिसाब से एक पाठ अपलोड करेंगे जिसके माध्यम से आप अपना गढ़वाली और कुमाऊँनी का ज्ञान बढ़ा सकते हैं . यह ब्लॉग मात्र उन लोगों के लिए नहीं बनाया गया है जो कि उत्तराखंड के हैं अर्थात गढ़वाली और कुमावनी हैं , बल्कि उन सभी के  लिए है जो इन मधुर भाषाओँ को सीखना चाहते हैं .अर्थात बिलकुल साधारण भाषा में आपको प्रतिदिन अनेक माध्यमों द्वारा ये भाषायें सिखाई जाएंगी .यहाँ पर गढ़वाली और कुमाऊँनी में एक साथ पोस्ट की जाएंगी , गढ़वाली के पाठ मै अपलोड करूँगा और कुमावनी के पाठ मेरे मित्र पुष्कर मेहता  अपलोड करेंगे ,जहाँ तक हमारी योग्यता की बात है तो हम दोनों ने गढ़वाली या कुमाऊँनी भाषा साहित्य में कोई  M.A या P.hd की डिग्री तो नहीं  ली  है !(जो कि दुर्भाग्य से अभी उपलब्ध भी नही है !!) पर हाँ इतना आप लोगों को अवश्य दिलासा दे सकते हैं कि हम दोनों ही ठेट पहाड़ी उत्तराखंडी वातावरण  में पले बढ़े हैं और इन पावन भाषाओँ को अपनी मातृभाषा के रूप में पाया है .

फिर देर किस बात की ?? शुरू करते हैं अपना रोमांचक सफर ....  आवा सीखा गढ़वाली सीखा कुमाऊँनी ....!!!

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