बुधवार, 16 मार्च 2011

गढ़वाली में क्रियाएँ


किसी भी अन्य भाषा की तरह गढ़वाली  भाषा की भी अपनी क्रियाएँ हैं जो कि कुछ तो हिंदी से ही मिलती जुलती हैं (संस्कृत से समान  उद्गम होने के कारण  ) पर कुछ अपने में ही काफी अलग हैं(जैसे गढ़वाली में दूध दुहने को ग्वील करण  कहते हैं जो कि हिंदी से काफी अलग है ) .यह क्रियाएँ भी अलग अलग पुरुष(प्रथम ,द्वितीय पुरुष ) और वचन(एकवचन /बहुवचन ) के अनुसार अपने रूप बदलती हैं .तो आइये इन क्रियाओं के रूप(conjugation) देखें  परन्तु उससे पहले आपको क्रिया के शुद्धतम रूप(infinitive)  के विषय में बता दें.
क्रिया के रूप तो अनेक होते ही हैं परन्तु उसका एक शुद्धतम रूप भी होता है जिसे हम अंग्रजी में infinitive कहते हैं ,उदाहरण के तौर पर "मैं खाता हूँ" ,"हम खाते हैं" यह तो क्रिया के परिवर्तनीय रूप हैं परन्तु "खाना" उसका शुद्धतम रूप है ..ऐसे ही "उठना","सोना ","खेलना ","रोना" ,"पढ़ना" आदि यह सभी क्रिया के शुद्धतम रूप हैं और गढ़वाली में भी बिलकुल यही स्वरुप है .भविष्य में भी आपका कोई भी क्रिया बताते समय उसके शुद्धतम रूप(infinitive)  में ही बताई जाएगी. 

ऐसे ही पहले तो गढ़वाली  की कुछ क्रियाएँ बता दी जाएँ :

होना : हूँण 

करना : करण 

पढ़ना : पढ़ण 

लिखना : लिखण 

चलना : हिटण 

खेलना : ख्यलण 

सोचना : स्वचण 

सोना : सींण 

जाना : जाँण 

आना : आँण      

बोलना : बच्याँण  













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